संतालों की बुनियादी गणतंत्रिक स्वशासन व्यवस्था

 

इतिहासकारों का मानना  है कि सभ्यता के क्रमिक विकास में आदिवासीयों का योगदान  अन्य समाज से सर्वाधिक है। सभ्यता के प्ररांभिक काल से ही आदिवासी दुनिया के प्रजातांत्रिक पैरोकार रहे है। वे विश्व   के किसी भी भू-भाग में रहे, पर कोमोवेश  बुनियादी स्वशासन व्यवस्था में समरूपता मिलती है। आदि काल से  आदिवासी समुदाय में सामाजिक, धार्मिक, न्यायिक व आर्थिक संरचना गणतंत्रिक आधार पर व्यवस्थित है। विश्व में पुनर्जागरण काल दौरान विभिन्न देशों में गणतंत्रिक व्यवस्था की समझ इस समुदाय से ही प्रेरित है। इस आलेख में हम संताल आदिवासी के प्रशासनिक एवं धार्मिक व्यवस्था पर विस्तृत चर्चा करेंगे। संतालों की बुनियादी परम्परागत स्वशासन व्यवस्था काफ़ी प्राचीन एवं जनतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। अपने सामाजिक जीवन को सुरक्षित तथा संगठनात्मक रुप से चलाने के लिए प्रत्येक राजस्व गांव में प्रशासनिक एवं धार्मिक प्रमुख होते हैं। जिसका प्रशासनिक सोपान इस प्रकार है:- 

1. मांझी : यह गांव का प्रमुख होता है। यह गांव के आंतरिक एवं बहा्य दोनों प्रकार की व्यवस्था के लिए गांव का प्रतिनिधित्व करता है। मांझी गांव का प्रशासनिक और न्यायिक मुखिया होता है। तथा उससे लगान  लेने का अधिकार है। 

2.प्रानीक :- प्रानीक भी गांव प्रमुख सदस्य है। इन्हें उप - मांझी का दर्जा प्राप्त है। मांझी की अनुपस्थिति में प्रानीक ही मांझी का कार्य वाहक होता है। प्रानीक ही किसी अपराध के मामले में दण्ड निश्चित करता है। 

3. गोडेत : - गोडेत मांझी का सचिव होता है। मांझी के मांझी के आदेश पर गांव में बैठक करने के लिए ग्रामीणों को सूचित करता है। इसके अलावे गांव के पूजा-पाठ में खजांची का काम करता है। चंदा उठता है। पर्व-त्यौहार के बारे में गांव ग्रामीणों को सूचना देता है। गोडेत के पास  पूरे गांव की जनसंख्या तथा परिवार की लेखा-जोखा की जानकारी रहती है।

4. जोग-मांझी:-  जोग मांझी , मांझी का उप- सचिव है। गांव के शादी-विवाह का हिसाब किताब जोग मांझी के पास ही रहता है। ये युवाओं के नेता भी है। शादी विवाह में युवा लड़का-लड़की का नेतृत्व भी करता है। शादी-विवाह के विवादों में जोग मांझी निर्णय सुनाता है। 

5. जोग प्रानीक:- जोग प्रानीक उप-जोग मांझी है। जोग मांझी के अनुपस्थिति में जोग प्रानीक ही बागडोर संभालता है।

6. भगदो प्रजा :- भगदो प्रजा गांव के कुछ प्रमुख सज्जन है। जो गांव के प्रत्येक मामले में विचार- विमर्श के लिए सभा में उपस्थित रहते है। प्रत्येक टोला में एक या दो लोग हो सकते है।

7. लासेर टैंगोय :- लासेर टैंगोय संगठनात्मक प्रमुख होता है। जो ग्रामीणों को बहरी हमलों से सुरक्षा प्रदान करता है।

8. नायके:- नायके गांव के धार्मिक अनुष्ठानों कार्य को संपन्न करता है तथा धार्मिक अपराधों के मामलों पर अपना फैसला सुनाता है। ये गांव के अंदर जीतने भी देवी-देवता हैं,उसका पूजा-पाठ करता है।

9. कुड़ाम नायके:- कुड़ाम नायके उप- नायके है। गांव के  बाहर जितने भी देवी-देवता है,उसका पूजा-पाठ कुड़ाम नायके करता है।

10. देश मांझी या मोड़ें मांझी:- आठ से लेकर दस गांव के मांझीयों के समूह को   " देश मांझी " या " मोड़ें मांझी" कहलाता है। यदि किसी मामले का फ़ैसला मांझी नहीं कर सकता है । तो उस मामला को मांझी द्वारा देश मांझी के पास लाया जाता है। और आठ से दस मांझी मिलकर मामले का  सामूहिक फैसला करते हैं। 

11.परगना :- पन्द्रह से लेकर बीस गांव के परिधि में एक परगना होता है। यह प्रशासनिक अधिकारी होता है। यह गांव के मांझीयों का प्रमुख होता है। जिस मामला को देश मांझी नहीं निपटारा नहीं कर सकता है। वैसे मामले को परगना के पास सम्बंधित गांव के मांझी द्वारा लाया जाता है।

12. सुसारिया :- इन पर सभा बैठक को सूचारु रुप से संचालित करने उत्तरदायित्व है। यह सभी क्षेत्रों में नहीं होता है। विशेष परिस्थितियों में  इसका प्रयोग किया जाता है 

13. दिशोम परगना :- संताली स्वशासन व्यवस्था में यह उच्च प्रशासनिक पद है। सभी परगाना के ऊपर एक "दिशोम परगना" होता है। जब कोई जटिल मामला परगना द्वारा नहीं निपटाया जाता हो तो, वैसे स्थिति में मामले को "दिशोम परगना" के सभा में सुनवाई की जाती है ।

 कालीदास मुर्मू, सम्पादक, आदिवासी परिचर्चा।

Post a Comment

1 Comments