देश में झारखण्ड खनिज संपदा का धनी राज्य है

 


 भू- वैज्ञानिकों के माने तो झारखण्ड खनिज संपदाओं से भरा हुआ राज्य है। यहां विविध प्रकार के खनिज संसाधनों में सौभाग्यशाली है। मोटे तौर पर यहां प्रायद्वीपय चट्टानों में कोयला, धात्विक खनिज  व अन्य अनेक अधात्विक खनिजों के भी अधिकांश भंडर संचित है। इन  खनिजों में से सबसे महत्वपूर्ण खनिज अयस्क परमाणु अथवा आण्विक है। जो झारखण्ड में प्रचुर मात्र में पायी जाती है।  ऊर्जा अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त की जाती है। जब ऐसा परिवर्तन किया जाता है। तो ऊष्मा के रूप में काफी ऊर्जा विमुक्त होती है, और इसका उपयोग  विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में किया जाता है। मूल रूप से यूरेनियम झारखण्ड राज्य के पुर्वी सिंहभूम जिला में फैले हुए पहाड़ी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रकार के यूरेनियम का उत्खनन किया जाता है। यहां उत्खनन कार्य भारत सरकार की अनुषंगी शाखा यूरेनियम काॅपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रबंध व निदेशन में किया जाता है। इसकी स्थापना 1967 ई॰ में  परमाणु वैज्ञानिक डॉ होती जहांगीर भाभा की अध्यक्षता में हुई थी। वे परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी थे। युसिल के स्थापना  काल से ही  पूर्वी सिंहभूम जिला में जमशेदपुर से सटे पहाड़ी क्षेत्र तुरामडीह , नारुवा पहाड़ी क्षेत्र होते हुए राजदोहा, जादूगोड़ा व बागजानता पहाड़ी क्षेत्र में उत्खनन कर कच्चे यूरेनियम के रुप में निकला जाता है। इन मांइस में अभी भी कार्य अनावरण चल रही है। कच्चे यूरेनियम को  परिष्कृत करने के लिए मिल में भेजा जाता है। यहां मिल जादूगोड़ा मांइस जो पहले से स्थापित थी । अत्यधुनिक परिष्कृत संयंत्र नारुवा पहाड़ मांइस में है। अन्य क्षेत्र में सिर्फ उत्खनन का कार्य होता है। इस काम में हजारों मजदूर दिन रात लगे रहते हैं। मांइस के खुलने से लोगों का विस्थापन हुआ । परिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हुई है। दुसरी पक्ष यह भी है कि यह जनजाति बहुल इलाकों होने के कारण  लोगों के बीच रोजगार के अवसर भी मिले हैं। जिससे लोगों शिक्षित हो रहे है और उनके जीवन स्तर में सुधार हुई है।

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