झारखण्ड राज्य में साक्षरता लक्ष्य पूरा करने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित योजना का झारखण्ड में " साक्षर झारखण्ड अभियान" तहत शुरू करने का निर्णय लिया गया है। जो निम्नलिखित हैं:-
1. राष्ट्रीय बालिका माध्यमिक शिक्षा प्रोत्साहन योजना :- 14 से 18 वर्ष की आयु की अनुसूचित जाति/ जनजाति की बालिकाएं, जिन्होंने कक्षा अष्टम उत्तीण कर लिया है, को माध्यमिक शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने यह योजना लागू की है। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति की छात्राएं एवं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिक विद्यालय की सभी कोटी की छात्राएं, जो कक्षा अष्टम उत्तीर्ण कर चुकी है। तथा जिनकी आयु 16 वर्ष से कम है के नाम से ₹3000 उनके खाते में जमा किया जाता है । 18 वर्ष की आयु पूरी करने तथा कक्षा दशम की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर संबंधित बालिका सूद सहित राशि की निकासी करती है । भारत सरकार द्वारा डीबीटी के माध्यम से लाभुक बच्चियों के सावधि खाते में सीधे राशि हस्तांतरित की जाती है।
2. राष्ट्रीय साधन-सह- मेधा छात्रवृत्ति :- आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के मेधावी छात्रों को आर्थिक सहयोग देने तथा कक्षा अष्टम में उनका ड्रॉपआउट रोकने तथा माध्यमिक स्तर पर शिक्षा जारी रखने के लिए यह योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत झारखंड राज्य के अहर्ता धारी छात्रों को झारखंड अधिविध परिषद द्वारा आयोजित परीक्षा के आधार पर चयनित होने पर ₹1000 प्रति माह की दर से प्रतिवर्ष 12000 रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इस योजना का लाभ केवल वैसे छात्र ही ले सकते हैं, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय सभी स्रोतों से मिलाकर 150000 से अधिक नहीं हो। राज्य सरकार के नीति के अनुरूप इसमें आरक्षण लागू है तथा भारत सरकार द्वारा प्रत्येक राज्य हेतु इसका कोटा भी निर्धारित है। यह छात्रवृत्ति कक्षा नवम तक दी जाती है। इस योजना के तहत सत प्रतिशत राशि भारत सरकार द्वारा डीबीटी के माध्यम से सीधे लाभुक के खाते में जमा कर दिया जाता है।
3. एचपी ई एम एम ( मदरसा/ अल्पसंख्यक विद्यालयों में शिक्षा प्रधान करने हेतु योजना):- यह योजना केंद्रीय योजना अंतर्गत संचालित है। इस पर व्यय होने वाली संपूर्ण राशि की प्रतिपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती थी, परंतु भारत सरकार, मानव संसाधन विकास विभाग विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के आदेश द्वारा इस योजना का विस्तार मार्च 2020 तक करते हुए इस योजना के तहत संचालित Scheme for Providing Quality Education in Madrasa (SPQEM) पर होने वाले व्यय के लिए केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 निर्धारित किया गया है।
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