समुद्री घास की खेती में संभावना को पहचानते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें तटवर्ती समुदायों के लोगों का जीवन बदलने की संभावना है। यह बड़े पैमाने पर रोजगार और अतिरिक्त आमदनी प्रदान करेगा। समुद्री घास की खेती को बढ़ावा देने के लिए, श्रीमती सीतारमण ने तमिलनाडु में एक बहुउद्देश्यीय समुद्री घास पार्क विकसित करने का प्रस्ताव रखा।
पिछले कई वर्षों में किसानों के कल्याण की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि किसानों से गेहूं, चावल, दालें खरीदने की मात्रा में तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि मूल्य सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जबरदस्त बदलाव से गुजरा है जो सभी जिंसों के लिए उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना है।
खरीद और पिछले कुछ वर्षों में किसानों को किए गए भुगतान का विवरण प्रदान करते हुए, श्रीमती सीतारमण ने कहा कि गेहूं के मामले में, 2013-14 में किसानों को कुल 33,874 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2019-20 में यह 62,802 करोड़ रुपये था और 2020-21 में और सुधार हुआ तथा किसानों को 75,060 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। गेहूं पैदा करने वाले लाभान्वित किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 43.46 लाख हो गई जो 2019-20 में 35.57 लाख थी।
धान के लिए 2013-14 में 63,928 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह वृद्धि 1,41,930 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2020-21 में यह और सुधरकर 172,752 करोड़ रुपये हो गई। लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या जो 2019-20 में 1.24 करोड़ थी, 2020-21 में 1.54 करोड़ पर पहुंच गई। इसी तरह दालों के मामले में 2013-14 में 236 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह बढ़कर 8,285 करोड़ रुपये हो गई। इस समय 2020-21 में यह 10,530 करोड़ रुपये है। 2013-14 के मुकाबले यह 40 गुना से अधिक वृद्धि है।
0 Comments