5000 साल के अपमान और उत्पीड़न से, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने भारत का संविधान बनाकर आदिवासियों को मुक्त किया। डॉक्टर अंबेडकर ने 23 अक्टूबर 1928 में सर्वप्रथम साइमन कमीशन के समक्ष यह बात कही कि आदिवासियों को वोट का अधिकार दिया जाना चाहिए। उसी तरह अक्टूबर 1933 ईस्वी में जेएच हटन के समक्ष आदिवासियों को संविधान में लाकर विशेष आरक्षण होना चाहिए ऐसा मत व्यक्त किया।( संदर्भ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर राइटिंग एंड स्पीच खंड 2 पृष्ठ संख्या 471 से 472,पृष्ठ संख्या 736- 742 ) बाबा साहब के इन प्रयासों से ही 1935 के गवर्नमेंट एक्ट ऑफ इंडिया के तहत 1936 में सर्वप्रथम शेड्यूल ट्राइब की सूची बनी। उसी तरह बाबासाहेब के संविधान की कोलम 15(4), 16(4), 46, 335, 338, 342 के तहत शिक्षा और नौकरी में आरक्षण 330, 332 के तहत राजनीतिक आरक्षण का संरक्षण दिया। संविधान की पांचवी और छठवीं अनुसूची के तहत आदिवासियों को स्वशासन व्यवस्था एवं मालिकियत का अधिकार भी प्रदान किया और कॉलम 275 के तहत बजटो में आर्थिक प्रावधान का भी प्रबंध किया।
संक्षेप में डॉक्टर अंबेडकर ने आदिवासियों को भारतीय संविधान में आदिवासी पहचान और संस्कृति के आधार पर संवैधानिक अधिकार एवं सुरक्षा सुनिश्चित किया है इसके पूर्व भारतीय इतिहास में कभी नहीं हुआ था। यह आदिवासी हित में भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी क्रांतिकारी घटना है जो डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के प्रयास से ही संभव हुई है। यह बात हम आदिवासियों को आत्मसात कार याद रखनी चाहिए।
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