राज्य योजनान्तर्गत चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कृषि क्षेत्र में फसल उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने एवं उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करने के लिए राजकीय कृषि प्रक्षेत्रों में समेकित बिरसा विकास योजना अन्तर्गत कृषक पाठशाला एवं बिरसा ग्राम विकसित करने की योजना पर राज्य सरकार ने कार्य शुरू कर दिया है।
पाठशाला की आवश्यकता क्यों
कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां झारखण्ड के लोगों की जीविका का मुख्य आधार है। लगभग 75 प्रतिशत राज्य की आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और अपनी जीविका के लिए खेती पर निर्भर है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में फसल उत्पादन, पशुधन और मत्स्य पालन आदि शामिल हैं। इसमें 54.20 प्रतिशत के साथ फसल उत्पादन में प्रमुख उपक्षेत्र बना हुआ है। राज्य की अर्थव्यवस्था में रोजगार और आजीविका सृजन करने में कृषि की काफी अधिक हिस्सेदारी है। इसको और गति देने की प्राथमिकता के साथ सरकार किसानों को उन्नत खेती हेतु प्रोत्साहित करेगी।
यह है उद्देश्य
कृषक पाठशाला के माध्यम से कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग द्वारा कृषकों को क्षमता विकास एवं प्रत्यक्षण पर वैज्ञानिक विधि से प्रशिक्षित किया जाएगा। कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग तथा सरकार के अन्य विभागों के बीच योजनाओं का लक्षित अभिसरण तय किया गया है। उसमें क्लस्टर आधारित बिरसा गांव में मलचिंग तकनीक द्वारा सिंचाई सुविधा विकसित करना, फॉरवर्ड लिंकेज सेवा के माध्यम से लाभुक कृषकों को आर्थिक सुदृढीकरण प्रदान करना है। साथ ही फसल की कटनी के उपरांत आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना है, ताकि उत्पाद को सुरक्षित रखा जा सके।
वहीं कृषकों को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग एवं अन्य दूसरे सरकारी विभागों की योजनाओं के बारे में जागरूक करना भी उसमें शामिल है।
ये है सरकार की योजना
समेकित बिरसा विकास योजना के मॉडल के पहले चरण में 17 कृषक पाठशाला राज्य के विभिन्न कृषि प्रक्षेत्रों में विकसित की जाएगी। फिर अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 100 कृषक पाठशाला विकसित की जाएगी। प्रत्येक कृषक पाठशाला में 3 से 5 बिरसा गांव को क्लस्टर एप्रोच के अन्तर्गत आच्छादित किया जाएगा।
कृषक पाठशाला में बिरसा गांव के किसानों को 50 -100 किसान प्रति गांव क्षमता विकास कर प्रशिक्षण एवं टिकाऊ खेती के बारे में वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा। उत्पादित वस्तुओं को कृषक पाठशाला के माध्यम से सप्लाई चेन, कस्टम हयरिंग सेंटर एवं मार्केट लिंकेज की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का अभिषरण किया जाएगा। क्लस्टर आधारित मलचिंग सुविधा, ड्रीप एरिगेशन, बॉवेल, रोड, डिलिवरी पाईप, समरसेबुल पम्प, कैरेट एवं अन्य स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी।
इस कार्य में ये निभाएंगे भूमिका
कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य से संबंधित विशेषज्ञ एजेन्सी को सूचीबद्ध किया जाएगा। साथ ही कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए 3-4 सदस्यीय राज्य स्तर पर पीएमयू का गठन किया जाएगा। कार्यकारी एजेन्सी एवं गठित पीएमयू को कार्य एवं दायित्व दिया जाएगा। सफलता पूर्वक कृषक पाठशाला की स्थापना के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य एवं प्रत्यक्षण जो कृषि, पशुधन एवं मत्स्य इत्यादि से संबंधित होगा, उसे एजेन्सियों के द्वारा सम्पादित किया जाएगा। उसके माध्यम से कृषकों का प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कर बिरसा गांव के कृषक एवं मजदूरों को परिश्रमिक पर लेना एवं उनके द्वारा किए गए कार्य का भुगतान किया जाएगा। कृषक पाठशाला की देखरेख एवं उसे सुव्यवस्थित रखना, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षक को परिभ्रमिक मानदेय पर लेना शामिल होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सामग्री हेतु सहयोग प्रदान करना और मार्केट लिंकेज हेतु योजना तैयार करना भी समाहित होगा।
पीएमयू के ये होंगे कार्य
कृषि निदेशालय तीन वर्षों के लिए 3-4 सदस्यीय राज्य स्तर पर पीएमयू का गठन करेगा, जो सभी योजनाओं का प्रबंधन एवं अनुश्रवण में सहयोग,कार्यकारी संस्थाओं की पहचान एवं उनके कार्य में सहयोग, कार्यकारी संस्थाओं के साथ सहयोग कर प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सामग्री, कृषि उत्पाद हेतु मार्केट लिंकेज की व्यवस्था, सभी योजनाओं हेतु रोड मैप, कार्य योजना एवं रणनीति, सभी निदेशालयों एवं विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर ससमय क्रियान्वयन, ग्रामीण हाट से समन्वय स्थापित कर मलचिंग एवं सिंचाई सुविधाओं से बिरसा ग्राम का विकास, कार्यकारी एजेन्सी एवं जिला के पदाधिकारी के साथ नियमित रूप से फ़ॉलोअप, आधारभूत संरचना हेतु स्थल की पहचान एवं चयन, कार्यकारी एजेन्सी के साथ समन्वय स्थापित कर परियोजना क्षेत्र में बेसलाईन कृषक पाठशाला के चयन हेतु सर्वे करेगा।
ऐसी होगी पाठशाला
कृषि, पशुधन एवं मत्स्य उत्पादन हेतु प्रत्यक्षण 10 एकड़ क्षेत्र में उच्च मूल्य वाले कृषि फसलों का कृषि कार्य किया जाएगा। 7.5 एकड़ क्षेत्र में फलदार पौधों का रोपन किया जाएगा। 50 बकरी, 25 सूअर, 500 वॉयलर चिक्स, 400 लेयर चिक्स, 500 बत्तख एवं 10 गाय का पालन किया जाएगा, जिसके लिए शेज, फ्लोर, यूरिन टैंक एवं फॉडर का निर्माण किया जाएगा। मलचिंग की तकनीक अपनाते हुए मैक्रॉएरिगेशन की व्यवस्था भी होगी। सिंचाई हेतु कृषक पाठशाला में जेनरेटर के साथ बॉवेल शेड डिलिवरी एवं समरसेबुल की व्यवस्था, 10000 वर्ग फीट का पॉली हाऊस का निर्माण, मधुमक्खी पालन हेतु 100 बॉक्स का निर्माण, 10 किलो प्रतिदिन मसरूम उत्पादन की क्षमता का विकास, 2 एकड़ क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जाएगा।
"अधिकांश किसान पारंपरिक पद्धति से खेती करते हैं । कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतु , किसानों का क्षमता विकास करना अवश्यक है, जिसके तहत वे आधुनिक कृषि तकनीक से खेती करें । कृषक पाठशाला इस नयी खेती संस्कृति के संचार केंद्र बनेंगे ।
( सौजन्य :- निशा उरांव, निदेशक कृषि विभाग, झारखंड सरकार।)
0 Comments