रांची: झारखंड की जानी मानी हिंदी और खड़िया भाषा की प्रख्यात शिक्षाविद्, साहित्यकार व समाजसेवी डॉ. रोज़ केरकेट्टा ने विश्वम्भर साहित्य भारती सम्मान 2022 लेने से असहमति जतायी है। उन्होंने कहा कि रांची के एक समाचार पत्र से उन्हें यह जानकारी मिली कि विश्वम्भर फाउंडेशन ने उनको सम्मान देने की घोषणा की है। हालांकि आयोजकों ने इस संबंध में अभी तक उनसे कोई संपर्क नहीं किया है।
लंबे समय से अस्वस्थता से जूझ रही डॉ. केरकेट्टा ने कहा कि वे इस सम्मान के लिए चुने जाने हेतु विश्वम्भर फाउंडेशन की आभारी हैं। किन्तु वे इसे नहीं ले सकती क्योंकि हमारा पूरा झारखंड इस समय गैर झारखंडी भाषाओं द्वारा की जा रही दावेदारी के विरोध में है। वे आंदोलनकारियों के साथ हैं और उनका मानना है कि झारखण्ड में आदिवासी और मूल क्षेत्रीय भाषाओं का ही अधिकार है।
उनकी अपील है कि जो भी गैर झारखंडी भाषी झारखण्ड में रह रहे हैं वे झारखंडियों के हित में यहां पर अपनी भाषाओं की दावेदारी छोड़ दें। साथ ही वे सब यहां की भाषाओं को सीख कर इस धरती व यहां की भाषाओं का सम्मान करें। जिससे राज्य में आपसी सौहार्द्र, सम्मान व भाईचारा बना रहे। उन्होंने सम्मान देने वाले मैथिल भाषी संस्था विश्वम्भर फाउंडेशन के आयोजकों से अपील की है कि यदि वे वाकई में उन्हें सम्मान देना चाहते हैं तो झारखण्ड की भाषाओं को समर्थन दें और मैथिली की दावेदारी यहां नहीं करें। यही उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा। इसकी जानकारी झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा के प्रवक्ता केएम सिंह मुंडा दी.
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Sahashik Kadam
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