अर्जुन महापात्रा। अब खुश हैं। उन्हें आमदनी का सशक्त माध्यम मिल गया। पश्चिमी सिंहभूम के सोनुवा प्रखंड स्थित बांसकाटा गांव निवासी अर्जुन कुछ वर्ष पूर्व तक जलाशय निर्माण में जमीन जाने के बाद से बेरोजगार थे। एक दुकान का संचालन कर अपना भरण पोषण कर रहे थे। परन्तु इतनी आमदनी नहीं थी कि खुशहाल जीवन यापन कर सके। लेकिन इनके जीवन में मछली पालन हेतु केज पद्धति वरदान बन कर आया। महापात्रा शिक्षित बेरोजगार थे, इस वजह से उपायुक्त चाईबासा के सहयोग से मत्स्य पालन हेतु पनसुवा में समिति का गठन किया। फिर देखते ही देखते इस समिति में अन्य लोग भी जुड़े और कारवां बनता गया। अर्जुन जैसे दर्जनों लोगों ने मत्स्य पालन को अपनी आजीविका का आधार बनाया और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुए।
विस्थापन के बाद नहीं था रोजगार, अब बन रहे आत्मनिर्भर
पनसुवा जलाशय सोनुआ प्रखंड में स्थित है। यहां के पांच गांव को विस्थापित कर ग्रामीणों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु पनसुवा जलाशय का निर्माण किया गया था। ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत ग्रामीणों को सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता इसी जलाशय से की जाती है। विस्थापित होने के उपरांत ग्रामीणों के पास रोजगार के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे। सरकार के निर्देश पर उपायुक्त चाईबासा द्वारा डैम में जैसे ही केज कल्चर से मछली पालन की शुरुआत हुई तो ग्रामीणों में आस जगी और रोजगार भी मिला एवं आय के स्रोत में वृद्धि भी हुई। जिला प्रशासन द्वारा जलाशय के मत्स्य समिति को दो मोटर बोट उपलब्ध कराया गया है, जिससे सोनुआ से गुदड़ी प्रखंड तक का सफर पूर्ण किया जाता है, साथ ही साथ जलाशय में पर्यटन के क्षेत्र में भी संभावनाओं को भी तलाशा जा रहा है। मोटर बोट की मदद से ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में भी आय अर्जित कर सकते हैं। इसको ध्यान में रखकर कार्य करने की योजना है।
रोजगार सृजन पर भी है ध्यान
पश्चिम सिंहभूम स्थित विभिन्न जलाशयों में अब तक 69 केज बैटरी मौजूद है, जिसमें से 53 केज बैटरी ब्लू रिवॉल्यूशन योजना तथा 16 केज बैटरी जलाशय मत्स्य विकास योजना के तहत जिले को उपलब्ध कराया गया है। साथ ही साथ जिले में तीन मोटर बोट भी जलाशय मत्स्य विकास योजना के तहत संचालित है। मत्स्य पालन के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं और मत्स्य कृषकों के आय में वृद्धि के मद्देनजर जिला प्रशासन के द्वारा 25 एस०सी०ए० मद 17 डीएमएफटी मद और 20 स्टेट के पास नए केज बैटरी के निर्माण हेतु प्रस्ताव भेजा जा चुका है। जिसे जिले के विभिन्न जलाशयों में स्थापित किया जाएगा ताकि मत्स्य पालन के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाओं का सृजन हो सके। इसके साथ ही आठ मोटर बोट का प्रस्ताव भी एस०सी०ए० मद के तहत भेजा जा चुका है, जिसके उपरांत पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार का सृजन किया जा सकता है। अभी वर्तमान में जिले के पनसुवा डैम मे दो और नकटी डैम में एक मोटर बोट के माध्यम से पर्यटन के क्षेत्र में वहां के ग्रामीणों के बीच रोजगार सृजन किया जा रहा है।
"जलाशयों के आसपास रहने वाले एवं विस्थापित परिवारों को आय का सशक्त माध्यम उनके गांव में ही उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। इसके माध्यम से रोजगार सृजन भी करना है। वर्तमान में मत्स्य पालकों को हर संभव सुविधा प्रदान करने का प्रयास सरकार के निर्देश पर किया जा रहा है।"
(स्रोत:- सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, झारखंड सरकार, रांची)
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