राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 4 नवंबर, 2022 को आइजोल में मिजोरम विधानसभा सदस्यों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति विकास के लिये बहुत चुनौतीपूर्ण होती है; लेकिन इसके बावजूद मिजोरम ने सभी मानकों पर तथा विशेषकर मानव विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। चूंकि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा सुशासन के दो महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं, इसलिये नीति-निर्माताओं और प्रशासकों ने इन दोनों सेक्टरों में सुविधाओं में सुधार करने पर जोर दिया है।राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे क्षेत्र की क्षमता की पहचान करने में कनेक्टीविटी सबसे बड़ा घटक होती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों और पुलों के विकास से न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है, बल्कि इसके जरिये आर्थिक अवसर भी सामने आते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह नई प्रौद्योगिकी का युग है, जिसका उपयोग कुशलतापूर्वक लोगों की सेवा करने में किया जा रहा है। उन्होंने सलाह दी कि आधुनिक तौर-तरीकों को अपनाने के साथ, हमें अपनी जड़ों से भी जुड़ा रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि मिजोरम एक जनजाति बहुल राज्य है, इसलिये वह अपने अतीत पर दृष्टिपात करे तथा पूर्व-आधुनिक काल की जो बेहतर शासन पद्धति नजर आये, उसे समकालीन प्रणालियों में शामिल करके पुनर्जीवित करे।
राष्ट्रपति ने इस वर्ष मई में सम्पन्न मिजोरम विधानसभा की स्वर्ण जयंती का हवाला देते हुये कहा कि वर्ष बीतने के साथ-साथ इस सदन ने भी बहस करने की प्रणाली विकसित की तथा स्वस्थ चर्चा और आपसी सम्मान की भावना के साथ काम करते हुये लोगों की समस्याओं का समाधान करने का रास्ता निकाला है। राष्ट्रपति ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि मिजोरम विधानसभा ने एनई-वीए (नेशनल ई-विधानसभा एप्लीकेशन) अपनाकर डिजिटल रूप से कामकाज करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि मिजोरम में महिलायें जीवन के हर क्षेत्र में शक्तिसम्पन्न हैं, चाहे वह खेल हो, संस्कृति या व्यापार का क्षेत्र हो। राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक जीवन में और खासतौर से विधायिका के क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिये।
राष्ट्रपति ने कहा कि मिजोरम और शेष उत्तर-पूर्व का विकास हमारे राष्ट्र को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिये भी बहुत महत्त्व रखता है। विश्व मंच पर भारत की स्थिति मजबूत होती जा रही है। पड़ोसियों के साथ, खासतौर से दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ हमारे सम्बंध हमारे लिये बहुत मूल्यवान हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूर-दराज के पड़ोसियों के साथ हमारे सम्बंध प्रगाढ़ करने के लिये हमारी ‘ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी’ में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को बहुत महत्त्व दिया गया है। पहले यह नीति आर्थिक पहल के रूप में थी, लेकिन अब इसमें रणनीतिक और सांस्कृतिक आयाम भी जुड़ गये हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पड़ोसी देशों के साथ भारत का जुड़ाव बढ़ाने के प्रयासों से मिजोरम को लाभ भी है तथा इसमें उसका योगदान भी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व मंच पर हमारा प्रभाव बढ़ रहा है, इसलिये हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ रही हैं। उदाहरण के लिये जलवायु परिवर्तन पर हमारी कार्रवाई को लिया जा सकता है। हम इसमें नेतृत्व कर रहे हैं और हमने विश्व को दिखा दिया है कि पर्यावरण बिगड़ने के दुष्प्रभावों का सामना करने का क्या तरीका सबसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहन देने की हमारी अनेक पहलों ने दुनिया भर में हमारा मान बढ़ाया है। इसलिये, हमें एक नागरिक होने, नीति-निर्माता के रूप में, विधिक कार्य या प्रशासनिक क्षेत्र में काम करने की हैसियत से, हमें धरती के घावों को भरने की कोशिश करनी चाहिये। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के सभी राज्यों की तुलना में मिजोरम में वनों का दायरा सबसे विशाल है तथा वह असाधारण और समृद्ध जैव-विविधता का आदर्श घर है। उन्होंने कहा कि हिमालय पर्वत श्रृंखला, उसकी नाजुक पारिस्थितिकी तथा वनस्पति और प्राणीजात हमारी अमूल्य धरोहर हैं; हमें आने वाली पीढ़ियों के लिये उन्हें संरक्षित करना होगा।
कालीदास मुर्मू संपादक आदिवासी परिचर्चा।
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