क्या जंगल से 2 लाख आदिवासियों और मूलनिवासियों की बेदखली होगी !

 


" सह-अस्तित्व" प्रकृति का मूल सिद्धांत और आदिवासी जीवन दर्शन का प्रमुख आधार है. इसी सोच के साथ आदिवासी और मूलवासी कई सदियों से जंगल में बाघ, भालू, हाथी और और अन्य जीव जंतुओं के साथ रहते आ रहे हैं. इस सोच को स्वीकार कर वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 में वाइल्ड लाइफ सेंचुरियों के बफर जोन में मनुष्य एवं जंगली जानवरों के  सह-अस्तित्व को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. 1988 ई. की राष्ट्रीय वन नीति जंगल जंगल, जानवर और आदिवासियों की सहजीविता को परस्पर संबंध के रूप में देखती है. वनाधिकार कानून (एसआरए) 2006 भी इस सह- अस्तित्व की सोच और आदिवासी एवं वनाश्रित समुदायों को जंगल में निवास करने के अधिकार को मान्यता देती हैं. 

लेकिन कुछ तथाकथित वन्य जीव संरक्षणवादी जो बाघ बचाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वे " सह- अस्तित्व" की इस अवधारणा को न करते हुए आदिवासियों और मूलवासियों को जंगलों से बेदखल करने का अभियान चला रहे हैं. उसी का नतीजा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी 2019 को उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि जंगल में रह रहे " अतिक्रमणकारियों" या अवैध निवासियों को 27 जुलाई 2019 तक बाहर निकाल दिया जाए. इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने 21 राज्यों के जीन 23 लाख से अधिक आदिवासियों- मूलवासियों को " अतिक्रमण कारी" कहां है, में वे लोग हैं, जिनके वन भूमि के दावे ख़ारिज कर दिए गए हैं.  हालांकि देशव्यापी आंदोलन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने 13 फरवरी के फैसले पर रोक लगा दी है, लेकिन अगर इस पर सुप्रीम कोर्ट रोक हटा ली तो करीबन एक करोड़ आदिवासी और मूलवासी जंगल से हमेशा के लिए बेदखल हो जाएंगे. 

कितने और कहां से बेदखल होंगे आदिवासी :- 

1) झारखंड से 27,809 आदिवासी एवं 298 मूलनिवासी।

2)  मध्य प्रदेश से 2,04,123 आदिवासी एवं 1,50,664 मूलनिवासी।

3) ओडिशा से 1,22,250 आदिवासी एवं 26,620 मूलनिवासी ।

4) आंध्रप्रदेश से 66,351 आदिवासी एवं मूलनिवासी।

5) तेलंगाना से 82,075 आदिवासी ।

6) त्रिपुरा से 34,483 आदिवासी एवं 33,774 मूलनिवासी।

7) पश्चिम बंगाल से 50,288 आदिवासी एवं 35,856 मूलनिवासी।

8) महाराष्ट्र से 13,712आदिवासी एवं 8,797 मूलनिवासी।

9) कर्नाटक से 35,521आदिवासी एवं 1,41,019 मूलनिवासी ।

10) असम से 22,398 आदिवासी एवं 5,136 मूलनिवासी।

11) बिहार से 4354 आदिवासी एवं छत्तीसगढ़ से 20,095 आदिवासी।

12) उत्तर प्रदेश से 20,494 आदिवासी एवं 38,167 मूलनिवासी

13) राजस्थान से 36,492 आदिवासी एवं 577 मूलनिवासी।

14) तमिलनाडु से 7,148 एवं केरल से 893 आदिवासी 

15) उत्तराखंड से 35 आदिवासी एवं 16 मूलनिवासी शामिल हैं। 

रिपोर्ट: ब्यूरो सोर्स, 

(संकलन:- कालीदास मुर्मू, संपादक, आदिवासी परिचर्चा।)

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