इन दिनों पूर्वोत्तर के मणिपुर हिंसक घटनाओं से जल रहा है.लगातार विगत दो - तीन महीनों से मणिपुर में हिंसक घटनाएं से लोग सदमे में है. लोग अपने घर को छोड़ शरणार्थियों में रहने के लिए मजबूर हैं. बात दे कि मई के महीने में मणिपुर में दो आदिवासी समुदायों के बीच हिंसक घटनाएं ने मणिपुर को अशांति फैला दी. इसकी आग बुझी ही नहीं थी,कि एक ऐसा शर्मसार करने वाली वीडियो वयरल हुआ, जिसमें भीड़ ने दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर खुलेआम इनकी इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हुए देखाया गया. इस अमानवीय कृत्य को देखकर देश के 140 करोड़ लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. जिसको लेकर पूरे देश भर में विरोध-प्रदर्शन जारी है. यह मुद्दा इतना गंभीर रूप ले लिया कि संसद की मानसून सत्र भी इसकी भेंट चढ़ी. मणिपुर में हुए हिंसक घटनाओं को सिलसिलेवार से समझने से पहले मणिपुर की इतिहास को जानना आवश्यक हैं.
मणिपुर का भारत में विलय का इतिहास:- जब 1947 में भारत आजाद घोषित हुआ, तब अंग्रेज ने भी मणिपुर को छोड़कर चले गए. उस समय मणिपुर में शासन का बागडोर महाराज बोधचंद्र के साथ में था. राज के साथ एक विलय संधि के तहत 15 अक्टूबर 1949 को मणिपुर भारत का अभिन्न बना. जब देश में 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, तत्कालीन केन्द्रीय सरकार वह के भौगोलिक, सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवेश को देखते हुए मणिपुर का आयुक्त के हाथों सौंप दिया गया.इस प्रकार मणिपुर भारतीय संघ का एक हिस्सा बना. 21जनवरी 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला.
मणिपुर में हिंसक घटनाएं की मुख्य कारण :- मुख्य रूप से मणिपुर में दो समुदायों की जनसंख्या अधिक है. मणिपुर में मैत्रेई समुदाय की आबादी 53% से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है. जिनमें ज्यादातर हिन्दू है. वहीं कुकी और नागा की आबादी 40% के आसपास है. इस घटनाक्रम पर विश्लेषक करने वाले के दृष्टि से मणिपुर हिंसा एक ही घटनाएं से शुरू हुई है- बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलना. सूत्र के मानें तो मणिपुर उच्च न्यायालय के 19 अप्रैल 2023 के एक आदेश पर कहा था कि बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाता है. जिससे लेकर राज्य में तनाव की स्थिति बनी.
विपक्ष ने संसद में सरकार को घेरा : जैसे ही 24 जलाई को मानसून सत्र प्रारंभ हुआ. विपक्ष के सांसदों ने इस मामले को सदन में उठाया एवं संसद के दोनों सदनों पर चर्चा की करने की मांग रखी. जिससे लेकर संसद सत्र की कार्यवाही स्थगित करते हुए देखा गया. इसी बीच आप पार्टी के राज्य सभा सांसद श्री संजय सिंह पूरे मानसून सत्र के निलंबित कर दिया गया. इससे ओर अधिक विपक्ष हमलावर हो गया. विपक्ष मांग कर रहे थे, कि प्रधानमंत्री मणिपुर के स्थिति पर सदन में बोले.सरकार से संतुष्ट ज़बाब या आवश्वन न मिलने पर विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ सदन अविश्वास प्रस्ताव रखा गया. जिससे लोकसभा के अध्यक्ष ने प्रस्ताव की मंजूरी दे दी. लेख लिखे जाने तक पता चला कि विपक्षी गठबंधन " इंडिया" के 20 सदस्यों सासंद हालात का जायजा लेने के लिए मणिपुर जायेंगे.
हिंसक घटनाओं का प्रभाव:- इन तीन चार के महीनों भीतर इस हिंसक घटना से 160 लोगों मरे गए. 400 से अधिक लोगों घायल हुए. हिंसा को रोकने के लिए सेना, अर्ध-सैनिक बलों और पुलिस संघर्ष के कारण 60,00 अधिक लोग घर को छोड़ कर दुसरे जगह पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है. पर सवाल यह है कि कब तक मणिपुर पर शांतिपूर्ण माहौल वहाल होगी. और वेघर रह रहे लोगों को संविधान में निहित मौलिक अधिकारों तहत् घर वापसी कब होगी.
कालीदास मुर्मू,संपादक आदिवासी परिचर्चा।
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