नई दिल्ली: मोदी सर ने मामले में राहुल गांधी को उच्चतम न्यायालय से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष श्री राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है. इससे पूर्व गुजरात के निचली अदालत एवं उच्च न्यायालय ने मानहानि मामले में राहुल की सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. बता दे कि न्यायालय में राहुल गांधी की ओर से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद एवं उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनका पक्ष रखा. गौरतलब है कि मोदी सर ने मामले में गुजरात की निचली अदालत में अधिकतम 2 साल की सजा के फैसले के बाद श्री गांधी की सदस्यता चली गई थी. 4 अगस्त 2023 को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के बाद श्री गांधी की सजा पर रोक लगा दी. इस फैसले के आधार पर लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने राहुल गांधी की सदस्यता बहाल रखने का फैसला लिया है. लोकसभा सचिवालय ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है. गौरतलब है कि 2019 के चुनाव में राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुई हैं जीत हुई है. लोकसभा सचिवालय के अधिसूचना में यह कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के 4 अगस्त 2023 के अध्यक्ष का सम्मान करते हुए राहुल गांधी की योग्यता के फैसले को वापस लिया जाता है.
मार्च में सुनाई गई थी सजा:- 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के एक चुनाव सभा में मोदी सरनेम के बारे में दिए गए एक बयान को लेकर गुजरात की न्यायालय ने 24 मार्च 2023 में श्री गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी. सजा सुनाए जाने के 24 घंटे के अंदर उनकी सदस्यता रद्द किए जाने की अधिसूचना लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किया गया था. परंतु सदस्यता बाहर होने में 48 घंटे से अधिक समय लगा दिए गए. जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
संसद की अविश्वास प्रस्ताव में भाग लेंगे श्री गांधी:- श्री गांधी की सदस्यता बाहर होने से अब विपक्ष मजबूती के साथ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए दिखाई देंगे. इसके अलावे मणिपुर में के मामले में जोरदार तरीके से सरकार को घेरने की पुरी कौशिश होगी. इसकी वजह यह बताया जा रहा है कि राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होने से संपूर्ण विपक्ष की एकजुटता बल आत्मविश्वास व बल भी बढ़ेगी. तथा नवगठित इंडिया मोर्चा का कमान संभालने के लिए राहुल गांधी को अधिकृत किया जा सकता है. जिससे 2024 के लोकसभा में विपक्षी एकता चुनावी मैदान में मौजूद सरकार को शिकश्त दे.
कालीदास मुर्मू, संपादक आदिवासी परिचर्चा।
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