नई दिल्ली: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार 8 फरवरी 2024 को देश के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तीन महत्वपूर्ण पहल शुरू करने जा रहा है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत केंद्रीयकृत "किसान रक्षक हेल्पलाइन 14447 और पोर्टल", कृषि-बीमा सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क प्लेटफार्म सारथी (SARTHI) व कृषि-समुदाय के लिए लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) प्लेटफार्म एक समारोह में लांच करेंगे.
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी भी उपस्थित रहेंगे. ये पहलें डिजिटल नवाचार व व्यापक जोखिम सुरक्षा समाधानों के माध्यम से किसान समुदाय के कल्याण और स्थायित्व को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगी. राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन के सहयोग से लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षण व ज्ञान साझा करेगा जोकि प्रमुख कृषि योजनाओं को लागू करने की चुनौतियों का समाधान भी करेगा और हितधारकों के बीच निरंतर सीखने और समन्वय को सुविधाजनक बनाएगा.
इसी तरह, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत एक केंद्रीयकृत "किसान रक्षक हेल्पलाइन और पोर्टल" विकसित किया है. अब इस योजना के अंतर्गत नामांकित सभी किसान या जो भी किसान अपनी फसल का बीमा करवाना चाहते हैं, वे अपनी चिंताओं और शिकायतों को दर्ज करने के लिए केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर 14447 पर कॉल कर सकते हैं, जिससे समय पर समर्थन और पारदर्शी संचार सुनिश्चित होगा.
पारंपरिक फसल बीमा से परे जाकर, भारत सरकार ने SARTHI - एक व्यापक बीमा प्लेटफार्म विकसित किया है। SARTHI किसान समुदाय की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए कई बीमा उत्पाद प्रदान करता है, जिसमें स्वास्थ्य और जीवन बीमा से लेकर कृषि उपकरणों और अन्य के लिए कवरेज शामिल है. यह पहल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप है.
सरकार ने सालभर में येस टेक, डिजिक्लेम, विंड्स, क्रोपिक, ऐड ऐप जैसी नई तकनीकें पेश करके देश के किसानों के लिए व्यापक जोखिम सुरक्षा और समर्थन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कृषि बीमा पारिस्थितिकी स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का मानना है कि ये पहलें देश के कृषि क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगी और किसानों के जीवन व आजीविका में सकारात्मक बदलाव लाएंगी.
कालीदास मुर्मू संपादक आदिवासी परिचर्चा।
0 Comments