भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), असम के प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन, छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावासों व अतिथि गृह का उद्घाटन समारोहपूर्वक हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा वर्चुअल माध्यम से जुड़े। वहीं, असम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी व क्षेत्रीय सांसद व राज्य के मंत्री मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर विशेष जोर है। पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि के विकास में जो गैप्स थे, उन्हें खत्म कर मुख्य धारा में लाने का काम केंद्र सरकार ने किया है व प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को नया आयाम दिया है। पूर्व सरकारों ने पूर्वोत्तर की अनदेखी की, लेकिन पीएम बनने के बाद श्री मोदी ने इस क्षेत्र के नियमित दौरे किए, विभिन्न प्लेटफार्मों पर पूर्वोत्तर विकास की संभावनाओं को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास किया। श्री मुंडा ने कहा कि 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ सरकार काम कर रही है, जिसमें कृषि की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। खाद्य तेल आयात के भार को कम करने और तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए 11 हजार करोड़ रुपये का मिशन चलाया जा रहा है। हमें इस सोच के साथ काम करना है कि आने वाले दिनों में हम इम्पोर्ट नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट करेंगे। जब हम विजन लेकर काम करते हैं, तो उसमें सफलता जरूर मिलती है।
श्री मुंडा ने कहा कि एक दिन पहले प्रधानमंत्री श्री मोदी की अध्यक्षता में दिनभर बैठक चली, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव में जनता के बीच जाना तो लोकतांत्रिक व्यवस्था है, लेकिन इस समय हमें सरकार बनाने से अधिक राष्ट्र निर्माण की चिंता करनी है। हमें इस सोच के साथ चुनाव में जाना है कि अगले 100 दिनों में हमारा लक्ष्य क्या रहेगा, हमें कौन से काम करने हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अगले 100 दिनों क्या काम करेगा, यह लक्ष्य निर्धारत करते हुए चुनाव में जाना है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि लोगों की सोच होती है कि चुनाव के दौरान आम लोगों के काम रूक जाते हैं, लेकिन सरकार का काम चलता रहना चाहिए। जिस तरह हम भोजन करना बंद नहीं करते हैं, उसी तरह काम करना भी बंद नहीं कर सकते हैं। विकास का कोई भी कार्य बाधित नहीं होना चाहिए। देश के लिए काम व परिणाम दोनों जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कृषि संस्थान बहुआयामी प्रयासों से क्षेत्र को लाभ पहुंचाने में जुटे हैं। विश्वास है कि आईएआरआई, पूर्वोत्तर राज्यों के समुचित कृषि विकास में महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बनकर उभरेगा। संस्थान में 2015-16 से ही विभिन्न विषयों में परास्नातक पाठ्यक्रम प्रारंभ हो गया है। यहां से डिग्री लेने के बाद विद्यार्थी कृषि विशेषज्ञ के रूप में तो काम करें ही, साथ ही एग्रो सेक्टर में मल्टी बिलेनियर बनकर उभरने वाले विद्यार्थी भी कैंपस से निकलकर आएं, इस प्रतिबद्धता के साथ काम करते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री चौधरी, सांसद श्री प्रदान बरूआ, असम के कृषि व बागवानी मंत्री श्री अतुल बोरा, शिक्षा, सामान्य जनजाति व पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री डॉ. रानुज पेगु, आईएआरआई, दिल्ली निदेशक डा. ए.के. सिंह ने भी विचार रखें।
कालीदास मुर्मू, संपादक आदिवासी परिचर्चा।
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