जामशेदपुर: झारखंड आंदोलनकारी पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने कहा है कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि प्राकृतिक राष्ट्र बनेगा. जिसमें प्रकृति की पूजा करने वाले आदिवासी और दलित राज करेंगे. उन्होंने कहा कि हिंदू, आदिवासी और दलित के सृजन का इतिहास हमें पढ़ने की आवश्यकता है. मनुष्य का प्रथम सभ्यता सिंधु घाटी है. जिसका जिक्र इतिहास में आदिवासी समाज के रूप में हुआ है. हम कह सकते हैं कि पृथ्वी के सृष्टिकाल से बसने वाले प्रथम मनुष्य आदिवासी ही हैं. सीधे-सादे आदिवासियों को आर्य मुर्ख और स्वयं को चतूर मानते थे. आर्य जब सिंधु घाटी पहुंचे तो आदिवासियों की जमीन पर दखल करने लगे. जिसके बाद आर्य व आदिवासियों में लंबे समय तक लड़ाईयां होती रहीं. आदिवासियों पर मनुवादी धर्म की संस्कृति व शासन को कबूल करने का दबाव बनाया गया. लेकिन आदिवासी उनकी बातों को नहीं मान कर बीहड़ जंगलों में जा बसे. जो लोग आर्य की बात मान कर गुलामी करने लगे, उन्हें आर्य, दलित का नाम देकर गंदगी साफ कराने का काम कराने लगे. इस तरह आर्य की वजह से आदिवासी व दलितों का शोषण शुरू हुआ. श्री उरांव ने कहा कि इतिहास ग्वाह है कि आर्यों के दबिश के बाद जो आदिवासी गुलामी कबूल किये उन्हें दलित का नाम दिया गया और जिन्होंने आजाद रहना पसंद किया वह आदिवासी कहलाये. दलित मूर्ति पूजा करने लगे और आदिवासी प्रकृति की पूजा किये. उन्होंने कहा कि इतिहास यह साबित करता है कि भारत में आदिवासी ही सबसे पुराने और सच्चे नागरिक हैं. आर्य बाहर से आये थे, जिन्होंने आदिवासियों के एक तबके को दलित बनाया है. वर्तमान समय में भाजपा और आरएसएस हिंदू जाति की संख्या गिना कर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है, यह कभी नहीं होगा, क्योंकि भारत में भीमराव अम्बेडकर का संविधान वाला आदिवासियों एवं दलितों का देश है. यह देश प्राकृतिक राष्ट्र बनेगा, जहां केवल आदिवासी और दलित ही शासक होंगे.
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