सीएनटी एक्ट और एसपीटी एक्ट,विकास और झारखंड

 


यह कहानी उन गरीब आदिवासियों और गरीबों की है जिसका शोषण विकास के नाम होते आया है.विकासवादीयों का मानना है कि CNT एक्ट,SPT एक्ट विकास में बाधक है.भूमि अधिग्रहण में दिक्कत होती है,जिसके कारण झारखण्ड का विकास नहीं हो पा रहा है.लेकिन इतिहास गवाह है इसी एक्ट के होते हुए भी  झारखण्ड के भूमि में ही बड़े-बड़े कारखाना लगे,बांध/डैम बने .ऐसी क्या घटना हो गयी कि देश के गरीब लोग अब अपना जमीन विकास के लिए देना बंद कर दिए.देश में ऐसा क्या हो गया कि माववादी की जनसंख्या घटने के बजाय बढने लग गया है ?  आइये इन सभी का उत्तर खोजने का कोशिश करे.
यहा घटना है कड़बिंधा,रामगढ़ की.जो झारखण्ड के उपराजधानी दुमका से महज कुछ किलो मीटर के दुरी पर है. यहाँ ठीक मेन रोड से सटे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है.यह केंद्र आदिवासियों के जमीन के ऊपर बना है.अगर दान कर्ताओं के बातों में विश्वास किया जाय तो वे कहते है पहले तो हम सभी जमीन देने के मुड में नहीं थे.फिर ठेकेदार ने हमलोगों को समझाया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बन जाने से ग्रामीणों को बहुत लाभ होगा.आपलोगों को इसके बदले नौकरी भी मिलेगी.तो दानकर्ता तैयार हो गए.दानकर्ताओ को जितनी समझ थी वे कोट से एफीडीफीट भी कर लिए. दानकर्ता का कहना है की उसके बाद भी हमलोगों को कोई आज तक कोई मुवाजा और नौकरी नहीं मिली.इसके लिए ब्लॉक स्तर से जिला स्तर तक,जिला स्तर से राज्य स्तर तक,यहाँ तक की गवर्नर,मंत्रीयों और नेताओं को भी लिखित गुहार लगायी लेकिन कुछ भी फायदा नहीं हुआ.और यह स्थिति पुरे देश में है जहाँ सरकार गरीबों से विकास के नाम भूमि अधिग्रहण करती है और मुवावजा ठीक से नहीं देती है और नो ही विस्थापन निति को ठीक से लागु करती है.इस स्थिति में भला गरीब लोग जमीन क्यों दे ?क्या इस स्थिति में आप अपना जमीन दान करना चाहेगे ?यही वजह है पुरे देश में गरीब जमीन देने से डर रहे है.  इस फोटो एल्बम में आवेदन के रजिस्ट्रेशन,नेताओं के लिए आवेदन,सरकार का उपयुक्त के नाम पत्र,इकरारनामा आदि सभी है.अगर इस स्थिति में गरीबोँ को न्याय नही मिले तो स्वाभाविक है वे गलत रास्ते में चल पड़ेगे और उसका किमत पुरे समाज को चुकाना होगा.अगर आप या आपके संस्थान इनलोगों को कोई मदद या सुझाव दे सके तो बहुत कृपा होगी.इस घटना को लाने में एक छोटे बच्चे ने मदद की,उसने गाइड का काम किया, उसका बहुत आभारी है.
बहुत अफ़सोस है इस तरह के समस्या कभी भी चुनावी मुद्दे नहीं बन पाए है बल्कि हमारे नेता जल,जंगल,जमीन के नाम वोट लेते रहे है.जरुरत है पुरे देश को विशेष कर आदिवासियों को पार्टी से ऊपर उठ कर सोचना होगा और कुछ करना होगा नहीं तो इनलोगों के घर के साथ-साथ हम सभी देश वासियों के भी  घर एक दिन जल उठेगा.चाहे वह माववादी के रूप में आपके घर जलाये,चाहे आतंकवादी के रूप में आपके घर जलाये ,चाहे वह अपराधियों के रूप में आपके घर जलाये.यह एक कड़ी है जिसका प्रतिफल(रिजल्ट),दुष्परिणाम कही नो कही दिखेगा.यह सही समय है इस दस्तक को हम सभी भारतीये सुने और गंभीरता से ले तभी जाकर हम एक सुन्दर और खुशहाल भारत का निमार्ण कर सकते है. 

रिपोर्ट/ संकलन: सच्चिदानन्द सोरेन, दुमका। 

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