झारखंड में बिरसा हरित ग्राम योजना बदल रही है किसानों की जिंदगी, फलों का राजा घोल रहा है जीवन में मिठास


झारखंड में बिरसा हरित ग्राम योजना राज्य के किसानों की जिंदगी बदल रही है. फलों का राजा कहा जाने वाला आम इन किसानों की जिंदगी में मिठास घोल कर लोगों को आर्थिक रूप से मददगार साबित हुआ है. सरकार की किसी भी योजना को अगर शिद्दत के साथ धरातल पर उतारा जाए तो इसका असर देखते ज्यादा वक्त नहीं लगता. गर्मी के सीजन में एक योजना सुर्खियों में हैं. वह है बिरसा हरित ग्राम योजना. कोविड-19 ने साल 2020 में जब दस्तक दिया तो झारखंड सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरों को उनके पैरों पर खड़ा करने की. इसके लिए मई 2020 में बिरसा हरित ग्राम योजना शुरू की गई. लॉक डाउन के बीच अभियान चलाकर गांवों में तेजी से फलदार पौधे लगाए गये. मजदूरों को उनके घर में ही रोजगार मिला और किसानों को फलदार बागान. ग्रामीणों को समझते देर नहीं लगी कि सरकार के सहयोग से लगाए जा रहे फलदार पौधे आने वाले समय में उनकी जिंदगी में मिठास घोलने लगेंगे. अब वही देखने को मिल रहा है. झारखंड में आम्रपाली समेत कई आमों की वेरायटी का उत्पादन बढ़ गया है.

 कौन-कौन सी वेरायटी के हैं आम:

 आम ही एक ऐसा फल है जिसकी वेरायटी अनगिनत है. लोकल स्तर पर लोग बिज्जू आम को अलग-अलग नाम दे देते हैं. कलमी आम में भागलपुरी लंगड़ा और मालदा लंगड़ा का झारखंड में सबसे ज्यादा क्रेज है. लेकिन बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत झारखंड की मिट्टी में आम्रपाली, मल्लिका और गुलाब खस क बेजोड़ उत्पादन हो रहा है. कल तक झारखंड के बाजार में यूपी के बाराबंकी से आम्रपाली, तमिलनाडु और कर्नाटक से मल्लिका और गुलाब खस का आवक था जिसकी सप्लाई अब लोकल किसान कर रहे हैं.

आंकड़े बता रहे हैं बदलते झारखंड की तस्वीरः

 ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020-21 में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 25,695 एकड़ में 27,90,319 फलदार पौधे लगाए गये. साल 2021-22 में 20,648 एकड़ में 23,12,556 और 2022-23 में 20,933 एकड़ में 23,44,551और 2023-24 में 43,388 एकड़ में 44,06,905 फलदार पौधे लगाए गये. चार वर्षों में 1,10,664 एकड़ में कुल 1 करोड़ 18 लाख 54 हजार 331 पौधे लगाए गये. इस योजना का लाभ बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उठाया. साल 2020-21 में 30,023 लाभुकों ने बागवानी की. साल 2021-22 में 23,554 और साल 2022-23 में 23,470 लाभुकों और 2023- 24 में 50,113 लाभुकों ने आम के पौधे लगाए. अब वही छोटे पौधे फल देने लगे हैं. इससे किसान बेहद उत्साहित हैं. कुछ समय पहले लगाए गये फलदार पौधे ग्रामीणों के जीवन में मिठास घोल रहे हैं.
 बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी:

 खास बात है कि एक तरफ यह योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई है तो दूसरी तरफ एक नई परेशानी भी लेकर आई है. आम का अच्छा उत्पादन होने की वजह से किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. फिलहाल शहरों के रिटेल मार्केट में लंगड़ा और गुलाब खस आम 60 रु किलो रिटेल में बिक रहा है.  किसानों की इस तकलीफ को देखते हुए ग्रामीण विकास विभाग मार्केट तैयार करने की योजना बना रहा है ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके. 

संकलन: कालीदास मुर्मू, संपादक आदिवासी परिचर्चा ।

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