संताल परगना में घटती संताल आदिवासीयों की आबादी जिम्मेदार कौन?

 

झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है. यहां  24 जनजातियों एवं 8 आदिम जनजाति समूह के लोगों का मुल भूमि हैं. यह आदिवासी झारखंड के भूमि पुत्र हैं. परन्तु विगत कुछ वर्षों से यहां के जनजातीय में डोमोग्राफी में तेजी से बदलाव हुआ है. दिनों-दिन यहां के संताल आदिवासियों की आबादी घटती जा रही हैं.यह मामला तब प्रकाश में आई जब राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री श्री बाबुलाल माराण्डी ने राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन के नाम पत्र लिखकर संताल परगना में संताल समुदाय की घटती संख्या पर चिंता जताई है. पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने संताल परगना में संताल जनजातीय की घटती आबादी की जांच राज्य सरकार से कराने से मांग की हैं. जांच से यह स्पष्ट हो जायगा कि संताल परगना के जिले संताल जनजातीय की घटती के पीछे का कारण क्या है? 

ऐसे में तो 2031 तक मिट जाएगी संताल की की आदिवासी होने का पहचान: 

पूर्व मुख्यमंत्री का दावा है, कि अगर इसी तेजी गति से बांग्लादेशी घुसपैठियों के अवैध प्रवास के कारण यहां का संताल समाज अपना मुल अस्तित्व, पहचान ,संस्कृति एवं संसाधनों को खो बैठेगा. बांग्लादेशी घुसपैठियों तेजी से यहां अवैध रूप से बस रहे हैं.और आदिवासियों के मुल आधार पर भाषा- संस्कृति एवं जल, जंगल, जमीन पर कब्जा कर हानि पहुंच रहे हैं. जो आने वाले भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है. बाहरी घुसपैठियों विशेष कर बांग्लादेशी द्वारा संथाल समाज के वहां बेटियों को लोग लालच देकर जबरन शारीरिक संबंध बनाते हैं, फिर शादी कर उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. यह अति संवेदनशील षड्यंत्र है, राज्य सरकार ऐसे को इस  प्रकरण को गम्भीरता से ले एवं जांच कर दोषियों पर उचित कार्रवाई करें. ऐसे में 2031 तक संताल परगना की डेमोग्राफी ही बदल जाएगी. 

मुस्लिम समुदाय की आबादी आदिवासियों से ज़्यादा हो जाएगी: 


वर्ष 2021 के अनुमानित आंकड़े का जिक्र करते हैं हुए कहा कि जनगणना में आदिवासी और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में ज्यादा अंतर नहीं रहने की संभावना है, दुसरे शब्दों में कह सकते हैं,कि वर्ष 2031 की जनगणना में ही आदिवासी समुदाय और मुस्लिम समुदाय की आबादी लगभग बराबर हो जाएगी. 2031 जनगणना के अनुमानित आंकड़े यह भी संकेत देते हैं, कि मुस्लिम समाज की आबादी आदिवासी से ज्यादा हो जाएगी. यह आंकड़े संताल परगना के आदिवासी विशेष कर संताल के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं होगी. वर्ष 1951 में आदिवासी की आबादी 44.46 % थी, जो वर्ष 2011 में घटकर 28.11% हो गई. जबकि 1951 में मुस्लिम की आबादी 9.44 % से बढ़कर 2011 में 22.73% की बढ़ोत्तरी हुई है. पुरे इस मुद्दे पर  माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद और अरुण कुमार राय के खण्डपीठ ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस भेजने का आदेश दिया है.

 संकलन: कालीदास मुर्मू संपादक आदिवासी परिचर्चा। 


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