पेसा अधिनियम के प्रावधानों पर कार्यशाला, जनजातीय अधिकारों और सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त बनाने की दिशा में नई पहल।
रांची: राष्ट्रीय पेसा दिवस के अवसर पर आज रांची स्थित होटल रेडिसन ब्लू में पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार और झारखंड राज्य सरकार के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का उद्देश्य पेसा अधिनियम, 1996 (पंचायती राज (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम) के प्रावधानों के बारे में जन जागरूकता फैलाना और जनजातीय समुदायों को उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाना था.
कार्यक्रम का उद्घाटन और मुख्य बातें
कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और अतिथियों के स्वागत के साथ की गई। कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्धाज, झारखंड राज्य के पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव श्री विनय कुमार चौबे, पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर, झारखंड की पंचायती राज निदेशक श्रीमती निशा उराँव, तीर फाउंडेशन के श्री मिलिंद थेटे, और कई अन्य सम्मानित अतिथि उपस्थित थे.
अपने उद्घाटन भाषण में श्री विवेक भारद्धाज ने पेसा अधिनियम के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह अधिनियम जनजातीय समुदायों को जल, जंगल, और जमीन के प्रबंधन पर अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने झारखंड सरकार के प्रयासों की सराहना की, विशेष रूप से पेसा पर आधारित लोकगीत तैयार करने की पहल की.
जनजातीय परंपराओं का दस्तावेजीकरण
श्री विवेक भारद्धाज ने जनजातीय परंपराओं के दस्तावेजीकरण पर जोर देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि ग्राम पंचायतों में आयोजित बैठकों में 26 जनवरी को प्रत्येक गांव की जनजातीय परंपराओं की सूची तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी.
पेसा अधिनियम की कानूनी पहलू और स्थानीय स्वशासन पर चर्चा:
कार्यशाला में पेसा अधिनियम के कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा की गई, जिसमें तीर फाउंडेशन के श्री मिलिंद थेटे, मंथन युवा संस्थान के श्री सुधीर पाल और अन्य विशेषज्ञों ने पेसा कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार प्रस्तुत किया. इसके अतिरिक्त, पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने पेसा अधिनियम के तहत ग्राम सभाओं को मिलने वाले अधिकारों और उनके कार्यों पर प्रकाश डाला.
संस्कृतिक कार्यक्रम और निष्कर्ष:
कार्यशाला में जन विकास मंच के द्वारा पेसा अधिनियम पर आधारित सांस्कृतिक नृत्य, नाटक और गीत प्रस्तुत किए गए। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया गया.
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पेसा अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन, जनजातीय समुदायों के अधिकारों को सशक्त बनाने और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में कदम उठाना था.
राष्ट्रीय पेसा दिवस 2024 का महत्व
राष्ट्रीय पेसा दिवस 2024 का आयोजन भारतीय सरकार की जनजातीय समुदायों के समावेशी विकास और उनके अधिकारों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह कार्यक्रम न केवल कानूनी रूप से जनजातीय समुदायों को अधिकार देने का अवसर है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
( स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार)
संकलन: कालीदास मुर्मू, संपादक आदिवासी परिचर्चा।
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