मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेन सिंह ने बीते साल 2024 के अंतिम दिन मणिपुर की जनता से माफी मांगी है.पिछले 600 दिन से अधिक जाति हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. मणिपुर में जाति हिंसा के कारण पिछले कई महीने से मणिपुर के हजारों नागरिक महिलाएं और बच्चे शिवरों में रह रहे हैं. मुख्यमंत्री ने आई एम सॉरी कहते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है. मणिपुर में पिछले 600 दिनों से दोनों समुदायों के बीच लगातार हिंसा हो रही है.मणिपुर में महिलाओं को नंगा करके घुमाया गया. हजारों लोग अपनी जान बचाने के लिए शिवरों में जाकर रहने के लिए विवश हुए हैं. अभी भी हिंसा का दौर थमा नहीं है. केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री ने राजनीतिक हितों के संवर्धन के लिए मणिपुर राज्य को हिंसा में सुनिश्चित रूप से सोची-समझी रणनीति के तहत झोंक दिया. अनेक चर्च जला दिए गए. एक समुदाय विशेष को शक्तिशाली बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जो खेल खेला गया, उसके कारण पिछले 20 महीने से मणिपुर में लगातार हिंसा हो रही है. पुलिस में सैकड़ों मामले हिंसा के दर्ज हैं. मणिपुर में 500 बार से अधिक गोलीबारी और आपसी मुठभेड़ में सैकड़ों नागरिक मारे गए हैं. सरकारी दफ्तर खाली पड़े हुए हैं. मैतई समुदाय के इलाके में कुकी समुदाय के सरकारी कर्मचारी काम करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. इसी तरह कुकी समुदाय के बीच मैतई समुदाय के सरकारी कर्मचारी काम करने नहीं जा पा रहे हैं. यही स्थिति पुलिस थानों की है. यही स्थिति अस्पतालों की है. सुंदर एवं शांत मणिपुर वर्तमान में अशांति का टापू बना हुआ है. इसका असर पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों पर भी पड़ रहा है. कहा जाता है, मणिपुर में केंद्र सरकार ने डबल इंजन की सरकार बनाने के लिए वीरेन सिंह को अपना प्यादा बनाया था. मणिपुर में संघ के अनुवांशिक संगठनों ने जाति अलगाव पैदा करने का काम शुरू किया. हिंदू और ईसाई समुदाय के बीच में जानबूझकर आरक्षण के नाम पर तनाव बढ़ाया गया. जिसके कारण बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। राजनीतिक हल्कों में कहा जा रहा है कि मणिपुर में निर्वाचित सरकार के नाम पर जोड़-तोड़ करके डबल इंजन की सरकार बनाई गई थी. वीरेन सिंह भले मुख्यमंत्री हैं, लेकिन सही मायने में सारे निर्णय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर के बारे में लिए जाते हैं. अनसुईया उईके यहां की पहले राज्यपाल थीं. वो आदिवासी समुदाय से आतीं थीं, उन्होंने शांति बनाने का बहुत प्रयास किया. उन्हें काम करने का मौका नहीं दिया गया. जिसके कारण मणिपुर आज सबसे अशांत राज्य के रूप में देश और दुनिया में पहचाना जा रहा है.
बहरहाल मुख्यमंत्री वीरेन सिंह ने माफी मांग कर शांति स्थापना की दिशा में एक नई शुरुआत की है. दोनों समुदायों के बीच समन्वय बनाने के लिए, बिना किसी स्वार्थ के यदि प्रयास किए जाएंगे तो निश्चित रूप से मणिपुर में शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी. जब तक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस मामले में खुद पहल नहीं करेँगे, तब तक शांति स्थापित नहीं हो सकती है. अमित शाह को मणिपुर में हुई हिंसा के लिए माफी मांगते हुए शांति स्थापित करने का वास्तविक प्रयास करना होगा तभी जाकर मणिपुर में शांति स्थापित हो सकती है. मणिपुर में मुख्यमंत्री दोनों समुदायों के बीच में अपनी विश्वसनीयता और लोकप्रियता को खो चुके हैं. मुख्यमंत्री वीरेन सिंह की माफी से वहां सकारात्मक रुख देखने को मिलेगा. बदली हुई, मुख्यमंत्री की माफी को राजनीतिक स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है. मणिपुर के विधायक और दोनों समुदाय की जनता मुख्यमंत्री से नाराज है. वीरेन सिंह अपने ही मैतई समुदाय की नाराजी का सामना कर रहे हैं। मणिपुर में दोनों समुदाय के लोग विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे काफी परेशान हैं. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री वीरेन सिंह ने माफी मांगकर, बातचीत का रास्ता खोलने का प्रयास किया है, वर्तमान स्थिति में यह सही कदम है. सत्ता के सभी सूत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े हुए हैं. ऐसी स्थिति में यही कहा जा सकता है कि जब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए ईमानदारी के साथ पहल नहीं करेगा, तब तक मणिपुर में शांति स्थापित होना मुश्किल है. सीमावर्ती राज्य होने के कारण केंद्र सरकार को मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे. सर्वदलीय राजनेताओं का प्रतिनिधिमंडल बनाकर मणिपुर ले जाना उचित होगा। तभी इसके सार्थक परिणाम मिल सकेंगे.
0 Comments