जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जिलाधिकारियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में पीवीटीजी के उत्थान के लिए सहयोगात्मक कार्य योजना पर चर्चा की



नई दिल्ली: जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में 15 नवंबर, 2023 को आरंभ किया गया प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) भारत सरकार की एक ऐतिहासिक पहल है. इसका उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाना है. यह योजना सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सड़क और दूरसंचार संपर्क और स्थायी आजीविका सहित अन्‍य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती है. यह पक्के घर निर्माण, सचल चिकित्सा प्रणाली की तैनाती, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना और कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ वन धन विकास केंद्र स्थापित करने जैसी पहल द्वारा दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में विकास के अंतर को पाटने का प्रयास करता है.

कार्यक्रम को नौ संबंधित मंत्रालयों/विभागों के सहयोग से तीन वर्षों (2023-24 से 2025-26) के लिए 24,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है. पीएम जनमन को देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में कमज़ोर जनजातीय समूहों को जोड़ने के प्रयासों में सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए तैयार किया गया है.

जनजातीय मामलों का मंत्रालय, नोडल निकाय के रूप में इसके कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं की पहचान और उनके तुरंत समाधान के लिए संबंधित मंत्रालयों और राज्य जनजातीय कल्याण विभाग (पीडब्यूडी) के साथ मिलकर काम कर रहा है. कार्यक्रम के अंतिम वर्ष में प्रवेश करने के साथ ही लाभार्थियों के अधिकतम कल्‍याण, योजना में तेजी लाने और पीवीटीजी ग्रामों और बस्तियों में समुचित लाभ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.

इसी उद्देश्य के लिए मंत्रालय ने 21 जनवरी, 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में पीएम जनमन योजना पर जिलाधिकारियों का एक सम्मेलन आयोजित किया. सम्मेलन में अभियान के छह प्रमुख क्षेत्रों- ग्रामीण विकास (आवास और सड़क), स्कूल छात्रावास, जल जीवन मिशन के तहत पेयजल प्रदान करना, आंगनवाड़ियों के संचालन और बहुउद्देश्यीय केंद्रों (एमपीसी) की स्थापना संबंधी प्र‍गति पर ध्‍यान केंद्रित किया गया.



जनजातीय मामलों के मंत्री श्री जुएल ओराम ने अपने आरंभिक भाषण में प्रधानमंत्री जनमन योजना के प्रभावी और व्यापक कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में नोडल अधिकारियों के रूप में जिलाधिकारियों की अहम भूमिका पर जोर दिया. जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के विकसित भारत की भविष्‍य दृष्टि को साकार करने में जिला कलेक्टरों और राज्य के अधिकारियों से मंत्रालय की योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन को प्राथमिकता देने का आह्वान किया.

जनजातीय मामले सचिव श्री विभु नायर ने योजनाओं को आगे बढ़ाने में अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की और कमियों को जमीनी स्तर पर पूरा करने पर जोर दिया. उन्होंने माननीय प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि सभी आवश्यक सुविधाएं पीवीटीजी समुदायों तक पहुंचे.

सम्मेलन का उद्देश्य पीवीटीजी समुदायों के लिए व्यापक कल्‍याणकारी सुविधाएं सुनिश्चित करने में कमियों की पहचान और उनके समाधान करने, सहयोगात्मक शिक्षा और सर्वोत्तम प्रचलन से प्रगति को बढ़ावा देना था. विशेष रूप से सफलता की कहानियों को उजागर करने और विकास की महत्वपूर्ण क्षमता वाले जिलों में सुधार के लिए इसकी रूपरेखा तैयार की गई थी.

आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य प्रधानमंत्री की भविष्य दृष्टि के अनुरूप मिशन के लक्ष्यों में तेजी लाना और सुनिश्चित करना था कि इसका लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे.

सम्मेलन में निम्नलिखित प्रमुख विषयगत क्षेत्रों पर चर्चा की गई:

  1. आवास: मकानों की स्वीकृति और निर्माण में प्रगति
  2. सड़कें: सड़क संपर्क परियोजनाओं पर अद्यतन जानकारी
  3. पेयजल: गांवों और बस्तियों को पेयजल आपूर्ति मुहैया कराने के ठोस उपाय
  4. आंगनवाड़ी: पीवीटीजी बस्तियों में आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) का निर्माण और संचालन
  5. स्कूल छात्रावास: छात्रावासों की स्वीकृति और निर्माण की प्रगति
  6. एमपीसी: बहुउद्देश्यीय केंद्रों (एमपीसी) का विकास और संचालन
  7. वीडीवीके: प्रशिक्षण कार्यक्रम, व्यवसाय योजना विकास और संबंधित साजो-सामान वितरण सहित वन धन विकास केंद्रों का संचालन 

सम्मेलन में राज्य जनजातीय कल्याण विभागों (टीडब्ल्यूडी), जिला मजिस्ट्रेटों और उनकी टीमों की सक्रिय भागीदारी रही, जिसमें समेकित जनजातीय विकास एजेंसियों (पीओ आईटीडीए) के परियोजना अधिकारी और जनजातीय कल्याण की देखरेख करने वाले जिला/राज्य कल्याण अधिकारी (डीएसडब्ल्यूओ/डीडब्ल्यूओ) शामिल थे। प्रत्येक जिले का प्रतिनिधित्व तीन सदस्यों ने किया.

सत्र छह मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित रहा जिन्हें छह समूहों में बांटा गया था। प्रत्‍येक सत्र एक विषयगत क्षेत्र से संबंधित था। इन सत्रों का संचालन ग्रामीण विकास मंत्रालय, स्कूली शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, तथा जनजातीय मामलों के मंत्रालय सहित संबंधित मंत्रालयों और विभागों ने किया.

चर्चा के दौरान, मंत्रालयों ने अंतिम कार्य योजनाएं प्रस्तुत कीं। इनमें सभी पीवीटीजी बस्तियों में पूर्ण कल्‍याण लक्ष्‍य हासिल करने पर जोर दिया गया, ताकि पीएम जनमन योजना संचालन  व्‍यापक और समावेशी तरीके से सुनिश्चित की जा सके.


सम्मेलन में 18 राज्यों के कुल 88 जिलों के प्रतिनिधि शामिल हुए और पीएम जनमन के कार्यान्वयन के लिए व्यापक कार्य योजना विकसित करने पर चर्चा और विचार साझा किए गए. मुख्य केंद्रित क्षेत्रों में श्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों ने अपने सर्वोत्तम प्रचलन प्रस्तुत किए, जिससे अन्य जिलों के लिए इनके अनुसरण का अवसर मिलेगा.

सम्‍मेलन में प्रतिभागियों के छोटे समूहों की बैठक (ब्रेकआउट सत्रों) के समापन पर भाग लेने वाले मंत्रालयों और विभागों ने समेकित कार्य योजनाएं प्रस्तुत कीं तथा प्रभावी और परिणामोन्‍मुखी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने पर विचार-विमर्श किया.

सम्मेलन में कल्‍याणकारी लाभ अंतिम छोर तक पहुंचाने, आवश्यक सेवाओं तक जनजातीय समुदायों की पहुंच बढ़ाने, पीवीटीजी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाने और उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर जोर दिया गया. कार्यक्रम का समापन इस आशा के साथ हुआ कि समुचित उपायों और नीति-से-जमीनी स्तर पर अंतर को प्रभावी ढंग से पाटा जा सकेगा और दूरस्थ एवं वंचित समुदायों तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करते हुए पीएम जनमन योजना कार्यान्वयन में तेजी आएगी.  


संकलन कालीदास मुर्मू संपादक आदिवासी परिचर्चा ।

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